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प्रतिबंध के बाद भी सिंगल यूज प्लास्टिक के सजा बाजार / Shivpuri News

शिवपुरी। सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध की बात शहर में धता साबित हो रही है। यहां के व्यापारी सामान तो थैलियों में पैक करके दे रहे हैं, लेकिन जब कोई ग्राहक उनसे सामान रखने के लिए हैंडल बैग मांगता है तो वे पालीथिन पर प्रतिबंध की बात कहते हुए देने से इनकार कर देते है। वहीं दूसरी और बाजार में कई दुकानें ऐसी है, जहां पर सिंगल यूज प्लास्टिक के डिस्पोजल आयटम बेचने के लिए दुकानदारों ने खुले दुकानों के बाहर लग रखे है। सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बाद कुछ व्यापारी कपड़े की थैली में ग्राहकों को सामने रखकर दे रहे है, हालांकि बाजार में ऐसे व्यापारी कम ही है। शेष पूरा बाजार सिंगल यूज प्लास्टिक से भरा पड़ा है। यहां के दुकानदार भी सामान तो प्लास्टिक की थैलियों में भरकर दे रहे है लेकिन उक्त सामग्री को रखने का झोला मांगते समय सिंगल यूज का प्रतिबंध याद आ रहा है। प्रशासन द्वारा जारी किए गए निर्देशों के पालन को लेकर समय सीमा तो निर्धारित कर रखी है लेकिन उक्त समय में भी डिस्पोजल खत्म हो पाना मुश्किल है।

बंद हुई चालानी कार्रवाईः सिंगल यूज प्लास्टिक व उससे बने उत्पादों के व्यापारियों में प्रतिबंध के बाद से ही इसके बंद होने का खौफ है। कोरोना संक्रमण के पहले नगर पालिका द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक के विक्रेताओं और उपयोग करने वालों के खिलाफ चालानी कार्रवाई की गई थी, लेकिन इसे बंद करने के बाद बाजार में खुलेआम पालीथिन, सिंगल यूज प्लास्टिक बिक रहा है।

सिंगल यूज प्लास्टिक क्या होता है?

प्लास्टिक की बनी ऐसी चीजें, जिनका हम सिर्फ एक ही बार इस्तेमाल कर सकते हैं या इस्तेमाल कर फेंक देते हैं और जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, वह सिंगल यूज प्लास्टिक कहलाता है। इसका इस्तेमाल चिप्स पैकेट की पैकेजिंग, बोतल, स्ट्रॉ, थर्मोकॉल प्लेट और गिलास बनाने में किया जाता है।

यह है पालीथिन के नुकसान

पालीथिन के प्रयोग से सांस और त्वचा संबंधी रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। इससे लोगों में कैंसर का भी खतरा बढ़ रहा है। स्थिति यह है कि पालीथिन के उपयोग के कारण लोगों पर जीवन भर रोगों का संकट मंडराता रहता है। यही नहीं, यह गर्भस्थ शिशु के विकास को भी रोक सकती है। नष्ट न होने के कारण यह भूमि की उर्वरा शक्ति को खत्म कर रही है। जिले में गिरते जलस्तर का सबसे महत्वपूर्ण कारण है।

यह है समस्या का विकल्प

पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के लिए हमें कपड़ा, जूट, कैनवास, नायलान और कागज के बैग का इस्तेमाल सबसे अच्छा विकल्प है। सरकार को पालीथिन के विकल्प पेश कर रहे उद्योगों को प्रोत्साहन देना चाहिए। साथ इन उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए जनता में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। इसके लिए लोगों को भी अपनी आदत में बदलाव लाना चाहिए।

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