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दुबई में एक करोड़ सालाना का पैकेज छोड़कर शिवपुरी में मुनि दीक्षा लेंगे गुजरात के हितेश भाई / Shivpuri News

 शिवपुरी। दुबई में एक करोड़ का पैकेज छोड़कर गुजरात के हितेश
भाई खोना अब वैराग्य मार्ग पर अग्रसर होंगे। पिछले 5 साल से आत्म साधना में
जुटे 30 साल के हितेश दुबई में व्यवसाय कर रहे थे। अब वे जैन संत बनने की
कठिन साधना करेंगे। शिवपुरी में 14 जनवरी को माता-पिता अपने बेटे रितेश काे
महा मांगलिक कार्यक्रम में जैन संत आदर्श महाराज को समर्पित करेंगे।

इसी
दिन दीक्षा का मुहूर्त निकलेगा। हितेश बताते हैं कि बड़े भाई की शादी और
माता-पिता काे मकान की व्यवस्था करने की वजह से वैराग्य का मार्ग अपनाने
में देरी हुई। हालांकि परिजन बड़े भाई की शादी के बाद भी दीक्षा लेने से मना
करते रहे। लेकिन हितेश का भौतिक चकाचौंध में मन नहीं लग रहा था। वे कहते
हैं कि जैसे भगवान महावीर ने 30 वर्ष की उम्र में दीक्षा लेकर आत्मकल्याण
किया था, वह भी 30 वर्ष की उम्र में दीक्षा लेकर धर्म साधना करेंगे।

हितेश
ने बताया कि जब वह कक्षा 12 में अध्ययनरत थे तो उन्होंने आचार्य नवरत्न
सागर महाराज के दर्शन किए। उनसे उन्हें जैन दर्शन के ग्रंथों का अध्ययन
करने की प्रेरणा मिली। जब उन्होंने समरादित्य महाकथा ग्रंथ का स्वाध्याय
किया तो इस ग्रंथ में क्रोध का अंत कैसे करें और बिना साधु बने सुखी नहीं
हो सकते… यह पढ़कर अंदर तक तरंग उठी। तभी तय कर लिया कि भविष्य में जैन
मुनि बनेंगे।

जैनोलॉजी में किया बीकॉम फिर फिलॉस्फर बने तो दुबई में मिला 1 करोड़ का पैकेज

मुंबई
के पंडित सुमन यशो विजय पाठशाला से उन्होंने जैनोलॉजी में बीकॉम किया।
यहीं पर फिलॉस्फी की शिक्षा ली। इसके बाद वह टैक्स कंसल्टेंसी करने लगे।
उन्हें 1 करोड़ का पैकेज दुबई के लिए मिला। 2015 में जब आचार्य नवरत्न सागर
महाराज का देवलोक गमन हुआ तो वह जैन मुनि आदर्श महाराज के संपर्क में आए और
उनसे प्रेरणा पाकर धार्मिक ग्रंथों का स्वाध्याय करने लगे।

2019
के चातुर्मास के दौरान रतलाम के बाजना में 1 दिन दुबई से सब कुछ छोड़ कर
गुरु चरणों में पहुंचे। जैन संत से बोले कि मुझे भी अब मोक्ष मार्ग पर आगे
बढ़ना है। इसलिए राग से वैराग्य दिशा की ओर ले चलो। जैन संत आदर्श महाराज
ने कहा कि आप पहले अपने माता-पिता से अनुमति लो और जिम्मेदारियों से मुक्त
होकर धर्म साधना में आगे बढ़ो। इसके बाद हितेश खुद धर्म साधना करने लगे।

पिता को नया मकान दिलाने की अंतिम इच्छा पूरी कर हुए दायित्व से मुक्त

हितेश
कहते हैं कि मन में एक इच्छा थी कि वह अपने पिता को मकान दिलाएं। जहां वह
रहकर अपना शेष जीवन धर्म साधना के साथ पूरा कर सकें। उस व्यवस्था को पूर्ण
करने के बाद वापस वह गुरु महाराज के चरणों में शिवपुरी आए। यहां आकर
उन्होंने दीक्षा के लिए पुनः निवेदन किया। जिस पर जैन संत आदर्श महाराज ने
उन्हें माता-पिता काे बुलाने के लिए कहा और अब 14 जनवरी को शहर में आयोजित
होने वाले महा मांगलिक कार्यक्रम में दीक्षा लेने वाले हितेश के पिता
भागचंद और माता चंपाबेन अपने बेटे को गुरु महाराज को सौंपकर अपनी अनुमति
प्रदान करेंगे।

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