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अमृत महोत्सव का प्रारंभ दांडी यात्रा से / Shivpuri News

जय प्रकाश श्रीवास्तव


सहायक प्राध्यापक एइतिहास


शासकीय श्रीमंत माधवराव सिंधिया


स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी।

 

शिवपुरी।भारत की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ को मनाने के लिए भारत सरकार द्वारा अमृत महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। अमृत महोत्सव का प्रारंभ भारत की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ के 75 सप्ताह पूर्व साबरमती आश्रम से 12 मार्च को किया जा रहा है। अमृत महोत्सव का प्रारंभ इस विशेष दिन किये जाने का प्रमुख कारण यह है कि दरअसल इसी दिन महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम से दांडी यात्रा प्रारंभ की थी।

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी की दांडी यात्रा की प्रमुख भूमिका है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने 1929 ईस्वी के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पास किया था और इसी के उपलक्ष्य में 26 जनवरी 1930 ईस्वी को प्रथम स्वतंत्रता दिवस मनाया गया और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने का दायित्व महात्मा गांधी को सौंपा गया।

महात्मा गांधी ने आंदोलन शुरू करने से पहले अंग्रेजों को एक और अवसर देने के लिए उनके समक्ष 11 सूत्री मांगे रखी और इनको ना माने जाने के फल स्वरुप सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी। गांधीजी की इन सभी मांगों में सामाजिकए आर्थिक मांगे ही प्रमुख थी । इन मांगों में पूर्ण स्वतंत्रता का कहीं भी जिक्र नहीं था दरअसल गांधी जी द्वारा किए गए सभी आंदोलनों का प्रमुख मंत्र यही था कि वे इन आंदोलनों के द्वारा भारत की जनता को निर्भय बनाना चाहते थे और यदि एक बार सभी भारतीय निर्भय होकर अंग्रेजों के कानूनों का विरोध कर दें तो अंग्रेजों को भारत को स्वतंत्रता देनी ही पड़ेगी। परंतु तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने 11 सूत्री मांगों पर ध्यान नहीं दिया जिसके कारण विवश होकर गांधीजी को सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करना पड़ा। आंदोलन का प्रारंभ नमक कानून के उल्लंघन के रूप में किया गया जो कि एक अत्यंत क्रूर कानून था। गांधी जी ने इस आंदोलन के लिए 78 अनुयायियों को अपने साथ लिया जिनमें कोई भी प्रमुख राजनीतिज्ञ नहीं था। गांधी जी की यात्रा साबरमती आश्रम से 12 मार्च को प्रारंभ होकर 378 किलोमीटर दूर 6 अप्रैल को गुजरात के नवसारी जिले के दांडी नामक स्थान पर खत्म हुई दांडी में उन्होंने एक मुट्ठी नमक बनाकर नमक कानून को तोड़ा और सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रारंभ किया। सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी की इस यात्रा की तुलना नेपोलियन की एल्वा से पेरिस की यात्रा और मुसोलिनी के रोम मार्च से की है। महात्मा गांधी की दांडी यात्रा से प्रेरित होकर भारत के विभिन्न स्थानों पर अनेक राजनीतिज्ञों ने ऐसी यात्राएं की।

 

तमिलनाडु में गांधीवादी नेता राजगोपालाचारी ने त्रिचनापल्ली से वेदारण्यम तक की यात्रा की और नमक कानून को भंग किया। केरल में नमक सत्याग्रह की शुरुआत के केल्लपन तथा टी के माधवन ने कालीकट से पेन्नार तक की यात्रा की और नमक कानून को भंग किया। उड़ीसा में इसी प्रकार की यात्रा गोप चंद्र बंधु चौधरी ने की। इस प्रकार सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रभाव संपूर्ण भारत में फैल गया और जगह.जगह भारतीयों ने अंग्रेजों के कानूनों का उल्लंघन किया। धरसाना की नमक फैक्ट्री पर सरोजिनी नायडू और मलिक लाल गांधी के नेतृत्व में धरना दिया। जिसे दबाने के लिए अंग्रेजों ने निर्दोष सत्याग्रहियो़ पर लाठीचार्ज किया । अमेरिकी पत्रकार वेब मिलर ने इस घटना का आंखों देखा वर्णन किया।।

 

 गांधी जी की दांडी यात्रा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पथ मे़ एक मील का पत्थर साबित हुई इसने भारतीयों को अंग्रेजों के विरुद्ध निर्भय होकर संघर्ष करने की शक्ति प्रदान की और भारतीयों की इसी निर्भयता ने ही कालांतर में अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश कर दिया।

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