पंच ग्रही योग में मनेगा संक्रांति का महापर्व
शिवपुरी। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना मकर संक्रांति कहलाता है। मकर संक्रांति के दिन स्नान दान जप तप तथा अनुष्ठान का विशेष महत्व होता है। पं. लक्ष्मीकांत शर्मा मंशापूर्ण मंदिर के अनुसार आज किया गया दान कई गुना फल प्रदान करता है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही मकर संक्रांति का पुण्य काल प्रारंभ हो जाता है। 14 जनवरी को प्रातः काल 8:13 से सूर्यास्त तक मकर संक्रांति का पुण्य काल रहेगा। इस वर्ष मकर संक्रांति का वाहन सिंह है। इसी कारण सिंह पर सवार होकर मकर संक्रांति आ रही है संक्रांति का उप वाहन हाथी है। संक्रांति का आगमन सफेद वस्त्र और कंचुकी धारण किए हुए बाल्यावस्था में कस्तूरी का लेपन किए हुए गधा आयुध शस्त्र हाथ में लेकर स्वर्ण पात्र में अन्न ग्रहण करते हुए अग्नेय दिशा की ओर दृष्टि किए हुए पूर्व दिशा की ओर गमन करते हुए हो रहा है।
संक्रांति का फल
सफेद वस्तु चांदी चावल दूध शक्कर आदि के दामों में वृद्धि होगी धान एवं गल्ले का भाव स्थिर रहेगा ब्राह्मण वर्ग का सम्मान बढ़ेगा किसानों को परेशानी रहेगी
संक्रांति पर दान का महत्व
मकर संक्रांति पर खिचड़ी तिल गुड चावल कंबल ऊनी वस्त्र अन्न स्वर्ण पीतल एवं तांबे का दान करना चाहिए तथा तीर्थ स्थान पर स्नान करने का विशेष महत्व होता है l
पंच ग्रही महायोग
पं. लक्ष्मीकांत शर्मा ने बताया कि इस बार मकर संक्रांति के दिन सबसे खास बात यह है कि सूर्य के पुत्र शनि स्वयं अपने घर मकर राशि में गुरु महाराज बृहस्पति और ग्रहों के राजकुमार बुध एवं नक्षत्रपति चंद्रमा को साथ लेकर सूर्यदेव का मकर राशि में स्वागत करेंगे। ग्रहों का ऐसा संयोग बहुत ही दुर्लभ माना जाता है क्योंकि ग्रहों के इस संयोग में स्वयं ग्रहों के राजा, गुरु, राजकुमार, न्यायाधीश और नक्षत्रपति साथ रहेंगे। ग्रहों के राजा सूर्य सिंह पर सवार होकर मकर में प्रवेश करेंगे। ऐसे में राजनीति में सत्ता पक्ष का प्रभाव बढ़ेगा और देश में राजनीतिक उथल-पुथल, कुछ स्थानों पर सत्ता में फेरबदल की प्रबल संभावना बनती है।
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