जिले के एक निजी अस्पताल में रविवार सुबह परिजनों ने जमकर हंगामा किया। आदिवासी युवक की हार्ट अटैक से मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने बिल के रुपए नहीं चुकाने पर लाश नहीं देने की भी बात कही। करीब 3 घंटे तक चले हंगामे के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव परिजनों को सौंप दिया। पूरे मामले में अस्पताल प्रबंधन ने भी स्वीकार किया है कि उन्होंने दवा और ऑक्सीजन के पैसो की मांग परिजनों से की थी।
5 हजार रुपए हम पहले ही जमा कर चुके हैं
रविवार सुबह 32 साल के केदार आदिवासी के सीने में दर्द होने पर परिवार वाले उसे एमएम हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। यहां इलाज के दौरान उसने करीब साढ़े 10 बजे दम तोड़ दिया। मृतक की बहन उर्मिला का आरोप है कि इलाज में लापरवाही बरती गई, इसी कारण उसके भाई की जान चली गई। भाई ने दम तोड़ दिया, इसके बाद भी डॉक्टर उसे ऑक्सीजन लगाते रहे। मौत के बाद शव भी ले जाने से रोक लिया। उनका कहना था पहले बकाया बिल भरो फिर शव लेकर जाना। उर्मिला का कहना है कि अस्पताल प्रशासन ने 10 हजार की मांग की थी, जबकि 5 हजार रुपए हम पहले ही जमा कर चुके थे।
दवा और ऑक्सीजन की उधारी थी
हॉस्पिटल संचालक डॉ. आरपी सिंह ने भी दवा और ऑक्सीजन की उधारी मांगने की बात स्वीकारी है। डॉ. सिंह का कहना है कि दवाइयों का 4 हजार 250 और ऑक्सीजन के 2 हजार रुपए हमारे उधार थे। जिसकी हमने परिजनों से मांग की है।
लाश का पीएम करवा कर मामला जांच में लें
अस्पताल प्रबंधन ने कोतवाली पुलिस को एक आवेदन सौंपा है। जिसमें मृतक की स्थिति का ब्यौरा देते हुए उसका पीएम करवा कर मामला जांच में लेने का उल्लेख किया है।
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