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16 साल से नौकरी कर रही सहायक वार्डन पर प्रशासन ने लटकाई तलवार, कहा आप अयोग्य, लौटाओ वेतन और बैठो घर / Shivpuri News

शिवपुरी। शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित होने वाले कस्तूरबा गांधी छात्रावास की 16 सहायक वार्डन को जिला प्रशासन पद से पृथक करने की तैयारी में है। 16 साल की नौकरी के बाद दस्तावेजों की जांच पड़ताल में इनकी नियुक्ति अवैध पाई गई, जिसके चलते जिला पंचायत सीईओ ने अब इन्हें पद से पृथक का नोटिस जारी कर सेवाकाल के दौरान मिला मानदेय वापस मांगा है। वही नोटिस से परेशान सहायक गार्डन ने आरोप लगाकर कहा है कि उनकी नियुक्ति वैध है, ना तो कोई जांच कमेटी आई ना पूछताछ हुई फिर किस आधार पर उन्हें प्रशासन पद से पृथक करने की तैयारी कर रहा है।

दरअसल अब से कुछ साल पहले वार्डन और सहायक वार्डन में आपसी विवाद हुआ था। और इस विवाद के बाद मामला कोर्ट तक जा पहुंचा। जहां से जब इन 16 सहायक वार्डन की नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया की जानकारी ली गई तो जिला प्रशासन ने 4 सदस्य समिति गठित की। जिसने सहायक वार्डन की नियुक्ति प्रक्रिया की जांच की तो उसमें कई कमियां पाई। जिसके आधार पर नियुक्तियों को अवैध मानकर समिति ने प्रशासन को नियुक्ति निरस्त करने की अनुशंसा कर दी। इसके बाद 14 जुलाई को जिला पंचायत सीईओ एचपी वर्मा द्वारा जारी किए गए आदेश में 16 अप्रैल को एक पत्र जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि आपके पास 3 दिन का समय है, अब अपने नियुक्ति संबंधी दस्तावेज और अन्य जानकारियां प्रस्तुत करें, यदि दस्तावेज नहीं दे पाते हैं तो फिर एक तरफा कार्रवाई करते हुए आप को पद से पृथक करने की कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही सेवाकाल के दौरान आपके द्वारा अर्जित किए गए मानदेय को भी आपको वापस करना होगा। इस नोटिस के मिलने के बाद सभी सहायक वार्डन सोमवार को जिला पंचायत कार्यालय पहुंची, जहां उन्होंने विरोध जताकर कहा कि उनकी नियुक्ति पूरी तरह से वैध है और उन्हें वह दस्तावेज प्रस्तुत किए जाएं जो नियुक्ति के समय लगाए गए थे। वह नस्ती रिपोर्ट भी दिखाई जाए जिसमें उनकी नियुक्ति संबंधी दस्तावेज है। इसके साथ ही उन्होंने 10 दिन का समय मांगा, जिसमें प्रशासन उन्हें दस्तावेज उपलब्ध करा दे तो वह जवाब देने भी तैयार है। सहायक वार्डन ने यह आरोप भी लगाया कि ना जांच समिति बनी, ना सवाल- जवाब हुए, प्रशासन ने एक तरफा पद से पृथक करने की तैयारी की है। सहायक वार्डन ने आरोप लगाया कि हम में से कई सहायक वार्डन ऐसी है जो 2006 से नियुक्त हैं और कुछ की नियुक्ति बाद में हुई है। ऐसे में काम करते-करते 16 साल हो गए, फिर भी हमें बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। प्रशासन ने नोटिस जारी कर लिखा है कि विभाग से मिले दिशा निर्देश के बाद जांच समिति गठित की, समिति रिपोर्ट के बाद नियुक्तियों को अवैध पाया। जबकि कोई जांच समिति प्रशासन ने गठित नहीं की और ना ही हम लोगों से पूछताछ हुई। ऐसे में हम पर कार्रवाई क्यों, वह भी पद से पृथक करने की। इस संबंध में सहायक वार्डन ने डीपीसी कार्यालय, जिला पंचायत और कलेक्ट्रेट पहुंच आवेदन जांच के लिए प्रस्तुत किया।

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