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अधिकतर मूंगफली मिल हुए बंद होने की कगार पर, नहीं मिल रहा रोजगार

अधिकतर मूंगफली मिल हुए बंद होने की कगार पर, नहीं मिल रहा रोजगार
40 मिलों से दो हजार मजदूरों को मिलता था रोजगार, मूंगफली की आवक कम होने से बने हालात
नोटबंदी के चलते औने-पौने दामों में बिक रही है किसानों की फसल
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करैरा। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात महाराष्ट्र, दिल्ली में काजू के नाम से प्रसिद्ध करैरा अंचल की मूंगफली आज प्राकृतिक संकट के साथ साथ नोट बन्दी का भी अच्छा असर किसानो और व्यापारियो को पड़ा है जिसके कारण करैरा की मूंगफली धीरे धीरे अपना वर्चस्व खोती जा रही है। आज करैरा ब्लाक के 30 से ज्यादा मूंगफली मिल बन्द होने की कगार पर पहुंच गए। अगर देखा जाये तो करैरा अंचल में 60 मूंगफली दाना मिल है जिससे करैरा और आस पास के दो हजार मजदूरो को काम मिलता था ।लेकिन पिछली साल वर्ष 2014 -5 में ओला वृष्टि अल्पवर्षा होने के  कारण मूंगफली का रक्वा 25हजार हैक्टेयर से 2014 -15 में  8 हजार हैक्टेयर ही बचा। वही वर्ष 2016 में 25 हजार हेक्टेयर में  मूंगफली की फसल की पैदावार तो हो गई लेकिन नोट बन्दी के कारण किसानो को सही दाम उनकी फसल के मण्डी में नही मिल पा रहे है। वर्ष 2016 के  शुरूआत में करैरा मण्डी के अंदर मूंगफली के अच्छे भाव रहे ।जैसे ही 1000 और 500 के नोट बन्दी का एलान क्या  हुआ कि   नबम्बर में 20 दिन मण्डी बन्द रही और आज किसान इतना परेशान है की  व्यापारी  पुराने नोटो पर 4300 में और नये नोटों में 3500 से 3700 के  भाव में फसल को बैच  रहे है ।यह कहा का इंसाफ है ।जिसके चलते दाना मिलो में काम करने बाले 2 हजार के लगभग मजदूर करैरा अंचल से पलायन कर चुके है और वह अन्य राज्यो में काम की तलाश में खाना बदोश की तरह भटक रहे है।
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सिरसौद अमोलपठा के अलावा दिनारा बैल्ट में भी हुई अच्छी फसल 
करैरा बैल्ट के सिरसौद अमोलपठा में  ही पिछली साल  मूंगफली की अच्छी  खेती हुई  थी लेकिन इस वर्ष तो दिनारा में भी मूंगफली की अच्छी पैदावार हुई । उक्त आशय की जानकारी में कैलास मिल के संचालक रामजी गोयल और ललित गोयल बताते है की इस वर्ष 50 से 60 प्रतिशत ही दाना बनपाया है जबकि अन्य वर्षो में  70 प्रतिशत मूंगफली  दाना अच्छी क्वालिटी का बन जाता था। वर्ष 2014 -15 में  अल्पवर्षा होने के कारण दिनारा के  बैल्ट में मूंगफली की खेती  हुई ही नही थी।
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एक-एक व्यापारी मण्डी से लाता था ढाई हजार बोरी 
करैरा कृषि उपज मण्डी की स्थिति देखि जाये तो पूर्व के अन्य वर्षो में मण्डी के अंदर 500 से 700 गाडिय़ा आती थी और एक एक व्यापारी एक दिन ढाई हजार बोरी खरीद कर ले जाया करता था लेकिन आज यह स्थिति है की मण्डी में 20 और 50 गाडिय़ंा ही आ रही है और व्यापारी किसानो से जहां ढाई हजार बोरी लेकर अपने मिलो पर ले जाते थे वह आज मात्र 500 ही बोरी लेकर ही जा रहे है।
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ढूंढने पर भी नही मिल रही करैरा की मूंगफली 
करैरा में पिछली साल सूखा पढ़ जाने से  अपने मिलो की साख बचाने के लिए  कई व्यापारी  नरवर ब्लाक की मण्डी से मूंगफली खरीद कर ला रहे है और नुकशान में दूसरे व्यापारी से माल खरीदकर ला रहे है ।करैरा की मूंगफली आज बाजार में ढूढे से भी नही मिल रही है।
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इनका कहना 
-हमाये खेत में मूंगफली की फसल पिछली साल की अपेक्षा इस वर्ष अच्छी हुई है लेकिन इस बार दाम बिलकुल ठीक नही है। 
हरनाम सिंह, ग्रामीण हाजीनगर 

इस बार मूंगफली की फसल पिछली साल की अपेक्षा ठीक है  लेकिन नोट बंदी के कारण  मण्डी में मूंगफली की आवक कम आ रही है जिस के कारण करैरा के व्यापारियो को काफी नुकशान हुआ है साथ ही किसानो की फसल के दाम भी नही मिले पा रहे है।
दिलीप सिंघल, व्यापारी करैरा 

करैरा में 25 हजार के लगभग  हैक्टेयर में मूंगफली की खेती जाती है इस बार पिछली साल की अपेक्षा  मूंगफली की फसल अच्छी हुई है, लेकिन नोट बन्दी के कारण किसानो को उनकी फसल का सही दाम नही मिल पा रहा है इस नोटबन्दी समस्या से किसानो और व्यापारियो को काफी असर पड़ा है।
वाय एस यादव करैरा कृषि विकास अधिकारी 
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