खनियांधाना। खनियांधाना तहसील के सब रजिस्ट्रार
मनपाल रावत पर रजिस्ट्री कार्यालय के वेंडरों और ग्रामीणों ने अवैध वसूली
करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि खनियांधाना तहसील में नागरिकों
द्वारा रोजाना रजिस्ट्री करवाने की एवज में रसीद का 50 फीसद राशि
रजिस्ट्रार को देना होती है।उधर सब रजिस्ट्रार मनपाल रावत ने कहा कि मैं
क्या बोलूं जो कह रहे रुपये देने की बात, आप उन्हीं से पूछ लो। चाहो तो
मेरी जांच करा लो।

आवेदक राकेश कुमार जैन पुत्र कोमलचंद जैन ने
आवेदन के माध्यम से बताया है ंकि ज्योतिसनादेवी पुत्री देवेन्द्र प्रताप
सिंह के द्वारा जमीन क्रय की थी, जो दिनांक 20 मार्च को उप पंजीयक कार्यालय
में रजिस्ट्री हो चुकी हैं। इसके एवज में सब रजिस्टार के द्वारा 15 हजार
रूपए की मांग की गई और राशि नहीं दी जो रजिस्ट्री को जिला शिवपुरी भेज दिया
गया। इस तरह का यह पहला मामला नहीं हैं। कई और मामले भी हैं। इस तरीके से
जिला शिवपुरी ट्रांसफर कर दिया जाता हैं। यह खेल पिछले कई महीनों से चल रहा
है ज्ञात हो कि कल ही शिवपुरी जिले में खनियाधाना से मात्र 35 किलोमीटर
दूर रन्नाोद में अवधेश शर्मा नाम के पटवारी को लोकायुक्त की टीम ने 3000 की
रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। इसके बावजूद भी यह प्रशासन के नुमाइंदे पैसों
के लेनदेन में जरा भी नहीं हिचक रहे स्थिति यह है कि जब नगर के पढ़े लिखे
शिक्षित लोग इस जालसाजी का शिकार हो रहे हैं, तो यहां प्रश्न यह खड़ा होता
है कि ग्रामीण अंचल से आए हुए किसानों की क्या हालत होती होगी। एक ओर
प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान किसानों के हित में भ्रष्टाचार
निरोधक कानून और स्वर्णिम मध्य प्रदेश बनाने के लिए अधिकारियों को लगातार
निर्देश कर रहे हैं, लेकिन फिर भी प्रदेश की जनता परेशान बनी हुई हैं।
बताया तो यह भी जाता हैं कि निचले स्तर पर अधिकारियों द्वारा इस प्रकार का
पैसों का लेनदेन करना अपनी कर्तव्य निष्ठा पर सवालिया निशान लगाता है।
भाजपा कार्यकर्ता हो, चलो कुछ कम दे दो
रिश्तेदार
की रजिस्ट्री कराने गए रईस यादव ने बताया कि उससे इनके लिए काम करने वाले
कल्लू झा ने रुपये मांगे। इसके बाद सब रजिस्ट्रार से बात की तो उन्होंने
कहा कि 10 हजार रुपये लगते हैं, लेकिन भाजपा कार्यकर्ता हो तो चलो कुछ कम
दे देना। इसके बाद मुझसे दो हजार रुपये लिए। रजिस्ट्री कराने के लिए आए
राकेश कुमार जैन ने बताया कि रजिस्ट्री के लिए आया था, लेकिन यहां सबने
बताया कि रजिस्ट्री के लिए रसीद का आधा रजिस्ट्रार साबह को देना है। सभी
वेंडर तलाश लिए, लेकिन सभी ने रुपये मांगे।
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