मिशन 2017 के लिए मायावती की नई सोशल इंजीनियरिंग, दलित-मुस्लिमों को जोड़ने की तैयारी

उत्तर प्रदेश में पिछले 25 सालों में दो ही पार्टियां सत्ता पर काबिज रही हैं. कभी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) तो कभी समाजवादी पार्टी की ही प्रदेश में सरकार रही है. इन सब के बीच बीजेपी और कांग्रेस प्रदेश की सत्ता में काबिज होने की अथक कोशिश ही करते रहे हैं.
एक बार फिर बसपा प्रमुख मायावती ने मिशन 2017 को ध्यान में रखते हुए सोशल इंजीनियरिंग का नया फार्मूला तैयार किया है. दलित और ब्राह्मणों के बीच गठजोड़ कर पूरे विश्व को सोशल इंजीनियरिंग का पाठ पढ़ा चुकीं मायावती ने इस बार दलितों और मुस्लिमों को एकजुट कर सत्ता में काबिज होने की कोशिश में हैं.
दलित-मुसलमान के 40 परसेंट वोट पर नजर
मायावती को लगता है कि अगर 21 परसेंट दलित और 19 परसेंट मुस्लिम एक साथ आ गए तो 40 परसेंट वोट के साथ उन्हें एक बार फिर सत्ता में काबिज होने से कोई नहीं रोक सकता. यही वजह है कि बहन जी लगातार पीएम मोदी पर हमलावर हैं. उन्हें लगता है कि पीएम मोदी पर अटैक कर वे मुस्लिमों को अपने पाले में कर सकती हैं.
इतना ही नहीं मायावती को यह भी पता है कि मुसलमानों के टूटने से वे समाजवादी पार्टी के परम्परागत वोट बैंक में भी सेंध लगा लेंगी. इतना ही नहीं मुसलमानों के टूटने से सपा भी बिखर जायेगी.
सात पन्नों की किताब से बीजेपी-सपा पर हमला
यही वजह है कि मायावती ने एक सात पन्नों वाली किताब की लाखों प्रतियां छपवाई हैं जिन्हें गांव-गांव मुस्लिम बस्तियों में बांटी जा रही है. ‘मुस्लिमों का सच्चा हितैषी कौन? फैसला आप पर’ नाम की इस पुस्तक में मायावती ने कई महत्वपूर्ण संदेश दिए हैं.
इस किताब में मायावती ने तीन अहम बातें की हैं. किताब के पहले ही पन्ने पर मायावती ने कहा है कि समय-समय पर बीजेपी की सरकार को गिराने का काम उनकी पार्टी ने ही किया है. साफ़ है उनका इशारा 1999 में एक वोट से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को लेकर है.
उन्होंने अपने संदेश में स्पष्ट किया है कि बसपा के लिए बीजेपी दुश्मन नंबर एक है.
दूसरी अहम बात उन्होंने यह कही है कि कैसे मुलायम सिंह यादव बीजेपी से मिले हुए हैं. मायावती ने कहा है कि मुलायम ने कभी मुसलामानों का भला नहीं किया. हमेशा उसे मोहरे की तरह इस्तेमाल किया है.
अखिलेश राज में 400 से ज्यादा दंगों का आरोप
मायावती ने अखिलेश सरकार पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि इस सरकार के दौरान प्रदेश में 400 से ज्यादा दंगे हुए. मुजफ्फरनगर दंगों का जिक्र करते हुए मायावती ने अखिलेश सरकार पर गंभीर आरोप लगते हुए कहा है कि दंगों के कुछ ही दिनों बाद राहत शिविरों पर बुल्डोजर चलवा दिया. सपा को मुस्लिमों से कोई प्रेम नहीं है.
अंत में मायावती ने कहा है कि बसपा ने हमेशा से ही बीजेपी के लिए कब्र खोदी है. बीजेपी के साथ मिलकर उन्होंने सरकार जरूर बनाई लेकिन कभी भी बीजेपी या आरएसएस के एजेंडे को लागू नहीं होने दिया.
पार्टी के मुस्लिम चेहरों को दी अहम जिम्मेदारी
मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए मायावती ने जहां एक ओर ज्यादा से ज्यादा टिकट मुस्लिमों को दिया है वहीं पार्टी के बड़े चेहरों को भी अहम जिम्मेदारी दी है.
पार्टी के मुस्लिम नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी, नौशाद अली, मोहम्मद अतहर खान, समसुद्दीन और मुमताज बीबी मुसलमानों को पार्टी की सोच से अवगत कराने में जुटे हैं.
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