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पंचायत चुनाव से पहले ही सीट हो रही मैनेज, लाखों में बिक रही सरपंची / Shivpuri News

शिवपुरी। पंचायत चुनाव का अभी बिगुल ही बजा है और सरपंची के लिए अभी से ही जुगाड़ शुरू हो गई है। सरपंच पद पर दूसरे को खड़ा न होने देने के लिए साम-दाम-दंड-भेद की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। ऐसा ही मामला कोलारस तहसील के इमलावदी गांव से आया है। ग्रामीणों ने मिलकर एक दावेदार को निर्विरोध सरपंच बनाने का फैसला किया। इसके लिए उससे गांव में मंदिर निर्माण के लिए 31 लाख रुपये लिए गए हैं।

लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुसार ग्रामीण मतदान कर सरपंच चुनते हैं। लेकिन शिवपुरी की कोलारस तहसील अंतर्गत ग्राम इमलावदी में मतदान के पहले ही धन बल के आधार सरपंच तय कर लिया है। गांव के एक दावेदार ने मंदिरों के जीर्णोद्वार के लिए 31 लाख रुपये दिए हैं। जिसके बदले आम सहमति बना ली कि कोई भी विरोध में नामांकन नहीं भरेगा। इसके लिए गुरुवार को गांव के हनुमान मंदिर पर संंबंधित दावेदार 31 लाख रुपये बोर ेमें भरकर पहुंचा और कहा कि इन रुपयों से पंचायत में आने वाले सभी मंदिरों का जीर्णोद्वार होगा। सरपंच बनने के बाद जो आय होगी उसका भी एक हिस्सा मंदिरों के लिए दिया जाएगा। इसके बाद पूरे गांव में बतासे बांटकर उसके सरपंच बनने का जश्न मनाया गया।

आदिवासी के लिए आरक्षित सीट, खड़ा करेंगे डमी उम्मीदवार

इमलावदी यादव बाहुल्य गांव है। इसमें बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग भी रहते हैं। इस बार यहां सरपंच की सीट आदिवासी (अनुसूचित जनजाति) के लिए आरक्षित है, जबकि संबंधित दावेदार अलग वर्ग से है ऐसे में वह जिस भी आदिवासी को खड़ा करेगा, वह ही र्निविरोध चुना जाएगा। इस पूरे घटनाक्रम में साफ होता है कि इस पंचायत से चुना तो आदिवासी जाति का सरपंच जाएगा, लेकिन वह सिर्फ डमी होगा। इमलावदी में करीब 1200 की वोटिंग है। इसमें दो मजरे और शामिल हैं जिसमें करीब 400 आदिवासी मतदाता हैं।

इनका कहना है..

लोकतंत्र में इसे बिल्कुल भी उचित नहीं कहा जा सकता है। यह जांच का विषय है। मुझे भी इसकी जानकारी मिली है और राजस्व के अमले को वहां जांच के लिए भेजा दिया है। वे वहां पूछताछ कर रहे हैं।

अक्षय कुमार सिंह, कलेक्टर

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