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57 कॉलोनियों को चिह्नित किया नोटिस भी दिए और पूरी हो गई कार्रवाई / Shivpuri News

शिवपुरी।  शहर में धड़ल्ले से कट रही अवैध कॉलोनियों पर प्रशासन लगाम नहीं लगा पा रहा है। 57 अवैध कॉलोनियों को बकायदा प्रशासन द्वारा चिन्हित कर लिया गया है। इनके कॉलोनाजर्स को नोटिस भी दिया गया, लेकिन तब से आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बीच गिनी चुनी कार्रवाई हुई भी तो कोर्ट के आदेश या फिर किसी राजनैतिक दबाव में ही हुई हैं। जबकि नगर पालिका पिछले कई सालों से अवैध कॉलोनियों की सूची दबाए हुए बैठा है। सालभर पहले ही कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया द्वारा समीक्षा बैठक में अवैध कालोनियों का मुद्दा उठाए जाने के बाद प्रशासन एक बार फिर नई सूची तैयार करने में जुट गया। नपा सीएमओ और तहसीलदार को इसकी जिम्मेदारी दी गई कि अवैध कालोनी काटने वालों की पूरी कुंडली तैयार की जाए। इसके बाद यह आदेश भी पुराने आदेशों के तरह गुम हो गए। इस बीच ही शहर के बीचों-बीच कई अवैध कॉलोनियां काट दी गईं। कुछ माह पूर्व प्रशासन ने कार्रवाई करने में रुचि भी दिखाई, लेकिन हर बार की तरह दो दिन में इक्का-दुक्का पर कार्रवाई कर प्रशासन की हिटैची बंद हो गई। जबकि बाकी कॉलोनाइजर्स में प्रशासन का डर बैठ गया, लेकिन बाद में अधिकारियों से सांठगांठ कर मामले को रफा-दफा कर दिया गया। अब एडवोकेट विजय तिवारी ने नगरीय प्रशासन के मुख्य सचिव और कलेक्टर को नोटिस पर भेजकर अवैध कॉलोनी बनाने वालों पर कार्रवाई की मांग की है। नोटिस देने वाले दिन भी दो कार्रवाई प्रशासन की ओर से की गई। हालांकि अभी तक किसी भी अवैध कॉलोनाइजर पर प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है।

अवैध कॉलोनी काटने वालों की सूची में जमीन कारोबारियों सहित कई स्थानीय स्तर के बड़े नेताओं के नाम शामिल हैं। इनमें भाजपा और कांग्रेस दोनों से जुड़े कई नेताओं के बकायदा सूची में नाम हैं। कुछ नेताओं ने खुद के बजाए पत्नी के नाम से कॉलोनियां काटी हैं। प्रशासन की लंबी चुप्पी इन नेताओं के रखूस का कारण भी है। वर्तमान में भाजपा की कार्यकारिणी में शामिल पदाधिकारी भी अवैध कॉलोनी वालों में शामिल हैं। कांग्रेस की तुलना में यहां भाजपा के अधिक नेता हैं। एक पार्टी के तो खुद अध्यक्ष अवैध कॉलोनाइजेशन कर रहे हैं।

कार्रवाई कर देते हैं भभकी, फिर मामला हो जाता है शांत

प्रशासन समय-समय पर भू माफियाओं पर कार्रवाई करता रहता है। यह कार्रवाई हमेशा एक या दो कॉलोनाइसर्ज पर की जाती है जिससे सभी में कार्रवाई का डर बन जाता है। इसके बाद अचानक से प्रशासन की कार्रवाई थम जाती है। जो कार्रवाई की भी जाती है उसमें मौके पर थोड़ा बहुत निर्माण तोड़कर लौट आते हैं, लेकिन अभी तक किसी भी कॉलोनाइजर पर एफआइआर प्रशासन ने दर्ज नहीं की है।

 

इस तरह चल रहा पत्राचार

नगर पालिका सीएमओ ने तहसीलदार शिवपुरी के दिसंबर 2019 के पत्र के क्रम में 7 माह बाद एक पत्र 29 जुलाई 2020 को अपर कलेक्टर शिवपुरी को लिखा जो, तहसीलदार द्वारा किए गए पत्राचार के क्रम में था। उसमें बताया गया कि 57 में से मात्र 23 कालोनाईजर्स द्वारा नोटिस का जवाब दिया गया उनके इन इन जवाबों को नपा ने पत्र क्रमांक 1334/ 2020 दिनांक 26 जून 2020 से एडीएम कार्यालय की ओर भेज दिया गया, शेष कालोनाइजर्स ने तो कोई जवाब तक नहीं दिया और न ही नोटिस प्राप्त की है, इनकी सूची भी एडीएम कार्यालय को जून में ही भेज दी गई। एडीएम कार्यालय ने 6 माह बाद भी नगर पालिका की इस नस्ती को उठाकर नहीं देखा। इसके बाद एडीएम बदल गए और बात आई-गई हो गई।

 

उच्च न्यायालय के निर्देशों का भी नहीं हुआ पालन

कुछ वर्ष पहले उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए अवैध कॉलोनाइजेशन रोकने के लिए निर्देश दिए थे। इस पर तत्कालीन कलेक्टर राजीव दुबे ने एक शासकीय पत्र सभी अनुविभागीय अधिकारियों को जारी किया था। लेकिन किसी भी एसडीएम ने उक्त आदेशों का पालन नहीं कराया। कुछ माह पूर्व कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने भी अवैध कॉलोनियों के संबंध में वर्तमान कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह को निर्देशित किया था। एडीएम ने कार्रवाई का आश्वासन भी दिया था, लेकिन उसके बाद से कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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