कोलारस। महिला एवं बाल विकास विभाग कोलारस कार्यकर्ता और सहायिकाओं की नियुक्तियों को लेकर हर बार की तरह इस बार भी विवाद और लेन-देने के मामलों से अछूता नहीं रहा है। एक बार फिर उक्त कार्यालय की कागजों की स्क्रूटनी में बढी लापरवाही सामने आने के बाद उक्त विभाग में हडकंप की स्थिति निर्मित बनी हुई है। पूर्व में भी महिला एवं बाल विकास विभाग में निकाली गई नियुक्तियों में बड़े गडबडझाले और लेन-देने उजागर हुए थे। इसके चलते तात्कालीक जिला पंचायत सीईओ नीतू माथुर ने पात्र आवेदकों को उनका हक बिना राजनैतिक दबाब के दिलाने में सफलता हासिल की थी। वर्तमान में भी उक्त नियुक्तियों को लेकर सिंधिया जनसंपर्क कार्यालय प्रभारी प्रहलाद सिंह यादव ने यहां पदस्थ एडीपीओ पूजा स्वर्णकार सहित संपूर्ण प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान अंकित करते हुए जांच की मांग की है।
कोलारस अनुविभागीय अधिकारी ब्रजबिहारी श्रीवास्तव ने विगत दिवस बैठक की अध्यक्षता करते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग की अंतिम सूची को अध्यक्ष कमला बाई यादव की आपत्ति पर स्थगित करते हुए समस्त दस्तावेजों की पुनः स्क्रूटनी करने के आदेश जारी कर दिए हैं। ज्ञात हो कि कोलारस में 7 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, 4 सहायिका, 1 मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के स्थानों के लिए आवेदन लिए गए थे। किंतु पारदर्शिता और मनमानी विभागीय स्क्रूटनी पर आपत्ति के चलते अंतिम सूची को फिल्हाल निरस्त करते हुए सभी कागजों की विभागीय जांच कराने के पारदर्शी निर्देश जारी कर दिए है। वहीं आदिवासी महिला वाले स्थानों को इन सभी से दूर रखते हुए बदरवास में भी तीन आदिवासी पदों को स्वीकृती प्रदान कर दी है।
सभी नियुक्तियां नियमानुसार की जाएं: प्रहलाद यादव
सिंधिया जनसंपर्क कार्यालय के प्रभारी प्रहलाद सिंह यादव ने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग चयन समिति में पांच सदस्य सदस्यों की एक कमेटी है। जो शुरू से अंत तक नियुक्तियों की पारदर्शिता पर नजर रखती है। इसकी अध्यक्षता अनुविभागीय अधिकारी करते हैं। साथ ही इसमें जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और सचिव के रूप में महिला एवं बाल विकास अधिकारी रहती हैं। वहीं जनपद पंचायत अध्यक्ष सकुन बाई और स्वास्थ्य समिति की अध्यक्ष कमला बाई यादव भी सदस्य की भूमिका में रहती हैं। इस प्रकार जितने भी आवेदन प्राप्त हुए हैं उनके कागजों की जांच इसी समिति के सम्मुख कि जाना चाहिए। ताकि किसी के साथ अन्याय न हो और योग्य आवेदक को उसका अधिकार मिल सके। लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिसके चलते उक्त मामले को मेरे द्वारा एसडीएम कोलारस के संज्ञान में लाया गया और नए सिरे से कागजों की जांच कर पारदर्शी रूप से अंतिम सूची जारी करने की पहल की गई।
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