Press "Enter" to skip to content

माता-पिता की खुशियों के लिए बेटियां सह लेतीं हैं सारे दुख – सुपोषण सखी राजकुमारी आदिवासी / Shivpuri News

बड़ा गांव में मनाया बालिका दिवस लिया बालिकाओं को शिक्षित करने के संकल्प के साथ मनाया

शिवपुरी। आज रविवार यानी 26 सितंबर को इंटरनेशनल डॉटर्स डे मनाया जाता है। आपको बता दें कि हर साल सितंबर के चौथे रविवार को इंटरनेशनल डॉटर्स डे मनाया जाता है। भारत में इसे बेटी दिवस या बिटिया दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के संदर्भ में इस दिन का खासा महत्व है। यहां बेटियों को विशेष महत्व दिया जा रहा है। नारी शक्ति का एक बड़ा अभियान बन चुका है, जिसका असर समाज से लेकर सरकारी योजनाओं तक साफ दिखाई दे रहा है। कभी पुरुष प्रधान समाज माने जाने वाले भारत में अब महिलाओं हर क्षेत्र में नाम कमा रही हैं। अधिक जानकारी देते हुए प्रोग्राम समन्वयक शक्ति शाली महिला संगठन रवि गोयल ने बताया कि संस्था द्वारा अंताराष्ट्रीय बालिका दिवस पर बड़ागांव में 25 किशोरी बालिकाओं के साथ मनाया एवं बालिका संवाद कार्यक्रम रखा जिसमें कि निकल कर आया की बालिकाओं ने 8 वी के बाद पढ़ाई छोड़ दी क्योंकि उनके गांव में माध्यमिक तक विद्यालय है इस कारण वह आगे पढ़ाई करने के लिए शिवपुरी नहीं जा पा रही है संस्था ने अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के उपलक्ष में समुदाय एवं सभी किशोरी बालिकाओं से आग्रह किया कि आप अपनी पढ़ाई फिर से शुरू कर दीजिए आपको गांव से लेकर शिवपुरी तक आने जाने के लिए परिवहन की व्यवस्था संस्था द्वारा की जा सकती है बशर्ते आप अपनी पढ़ाई आगे जारी रखें इस पर सुपोषण सखी राजकुमारी आदिवासी एवं आंगनवाड़ी सहायिका सुनीता गुर्जर ने गांव की बेटियों को आगे पढ़ने पर जोर दिया। प्रोग्राम में पूजा शर्मा ने बालिकाओं को बालिका दिवस की बधाई इस प्रकार दी
घर में ना हो बेटी तो घर सुना लगता है। हाथों की लकीर बेटियां…उम्मीद की किरण बेटियां……मां-पिता की आन और शान बेटियां। इस तरह के अनगिनत शब्द और उपमाएं बेटियों के लिए यू हीं नहीं रचे गए हैं। वह माता पिता की मल्लिका हैं, दिल का टुकड़ा हैं। घर की दहलीज पार नहीं करती हैं, उनकी खुशियों के लिए हर गम सह लेती हैं। इन्हें लक्ष्मी का वरदान और सरस्वती का मान ऐसे ही नहीं कहते। ज्ञान, विज्ञान एवं सेना से लेकर हर क्षेत्र में अपनी अलग पहचान के साथ-साथ वह अपने बाबा और बाबुल के साथ उस मोड़ पर आकर खड़ी हो जाती हैं, जब बेटे भी अक्सर मुंह मोड़ लेते हैं। बालिकाओं में मुस्कान गुर्जर, आरती गुर्जर, ,मोनिका गुर्जर,अनुष्का गुर्जर, बरखा आदिवासी,शीतल आदिवासी, अमृत आदिवासी, भारती गुर्जर,रुकमणी आदिवासी
रानी आदिवासी,रामवती आदिवासी सलोनी आदिवासी राजवती आदिवासी,चंद्रमुखी आदिवासी, सविता आदिवासी रश्मि आदिवासी बंदनाआदिवासी कल्लू आदिवासी, सजना आदिवासी ,सोनम आदिवासी पूनम आदिवासी,राजकुमारी आदिवासी सुपोषण सखी सुनीता गुर्जर साहियाका ने भाग लिया।

More from ShivpuriMore posts in Shivpuri »

Be First to Comment

Leave a Reply

error: Content is protected !!
%d bloggers like this: