शिवपुरी। जिले में एक तरफ प्रशासनिक अधिकारियों की कमी है वहीं दूसरी ओर उन्हें अतिरिक्त प्रभार सौंपे जा रहे हैं। प्रभार सौंपने वाले अधिकारी भी नियम कायदों को ध्यान में नहीं रख रहे हैं और अपनी मनमानी कर किसी भी अधिकारी को किसी भी पद का प्रभार सौंप रहे हैं। ऐसा ही एक मामला शिवपुरी जिले का है जहां जिला परियोजना समन्वयक का पद नियमानुसार जिला शिक्षा अधिकारी को मिलना चाहिए लेकिन यहां प्रशासन ने मनमानी कर यह प्रभार डिप्टी कलेक्टर को सौंप दिया है। प्रभार सौंपते समय नियम-कायदों को ध्यान में नहीं रखा गया। मामले को लेकर आपत्ति भी की गई लेकिन बड़े अधिकारी कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है।
डिप्टी कलेक्टर को राज्य शिक्षा केंद्र आयुक्त के आदेश के विरुद्ध डीपीसी का कार्यभार सौंपा गया है, जबकि शिक्षा विभाग में डीपीसी का पद रिक्त होने की स्थिति में इस पद का प्रभार किसी प्रशासनिक अधिकारी को सौपे जाने की बजाए जिला शिक्षा अधिकारी को प्रभारी डीपीसी का कार्यभार सौंपे जाने की व्यवस्था दी गई है। राज्य शिक्षा केंद्र के आदेश क्रमांक 6754 दिनांक 6 जुलाई 2012 तत्कालीन आयुक्त रश्मि अरुण शमी द्वारा हस्ताक्षरित आदेश में पूरे प्रदेश के कलेक्टर्स को स्पष्ट रूप से आदेशित किया गया है कि जिलों में किन्ही कारणों से जिला परियोजना समन्वयक का पद रिक्त होने पर सर्व शिक्षा मिशन अंतर्गत गतिविधियों के सुचारू संचालन के लिए अस्थाई रूप से इस पद का प्रभार जिले के अन्य अधिकारियों को सौंपा जाकर कार्य संपादित कराया जा रहा है। राज्य शासन द्वारा जिले में जिला परियोजना समन्वयक का पद किसी भी दिशा में रिक्त होने की स्थिति में इस पद का प्रभार अनिवार्यतः जिला शिक्षा अधिकारी को सौंपे जाने का निर्णय लिया गया है उक्त आदेश अनुसार कार्रवाई तत्काल सुनिश्चित की जाए।
शिवपुरी जिले में आयुक्त के आदेश को ताक पर रखकर समय-समय पर जिला शिक्षा अधिकारी के बजाय रिक्त पद का प्रभार अन्य अधिकारियों को सौंपा जाता रहा है, जो नियमानुसार उचित नहीं लेकिन वर्तमान में भी यही स्थिति फिर सामने आ रही है। एक ओर जहां के कार्य विभाजन से वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की अनदेखी हो रही है वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक कामकाज भी प्रभावित हो रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारी मूल रूप से अपना काम करने के बजाय दीगर कामों में उलझ रहे हैं और प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित हो रही हैं।
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