Press "Enter" to skip to content

जनसुनवाई में पहुंचे बाढ़ पीड़ित, बोले हमें न तो राशन मिला और न ही मुआवजा / Shivpuri News

-पटवारी, सचिवांे पर लगाए सर्वे में गड़बड़ी के आरोप
-महिलायंे बोलीं मंत्री साहब कह गए थे दस-दस पसेरी अनाज मिलेगा लेकिन अभी तक एक दाना नहीं मिला
शिवपुरी/ शिवपुरी जिले नरवर बैल्ट के गांवांे में बाढ़ का पानी तो उतर गया है मगर बाढ़ से मिले जख्म अब भी मौजूद हैं और ग्रामीणों की दुर्दशा चीख चीखकर बाढ़ से हुई तबाही को बता रही है। बाढ़ पीड़ितांे के गांवांे में सर्वे के नाम पर महज खानापूर्ति चल रही है धरातल पर कुछ भी होता दिखाई नहीं दे रहा है। ग्रामीणों को शासन द्वारा मुहैया कराया जाने वाला न तो राशन मिला और न ही घर गिरने के चलते सरकार द्वारा निर्धारित मुआवजे की राशि। यह हालत उस क्षेत्र के गांवों की हैं जहां पिछले दिनांे सीएम शिवराज सिंह का उड़न खटौला उतरा था और मंच से उन्होंने बाढ़ पीड़ितांे के दुःख दर्द में शामिल होने के बड़े बड़े दावे किए थे और हर सम्भव मदद पहुंचाने का एलान किया था। यहां शिवराज सिंह ने कुछ लोगांे को वन क्लिक से राशि भी भेजी मगर वास्तविक पीड़ित अभी भी सीएम राहत का इंतजार कर रहे हैं।
आज कलेक्टोरेट कार्यालय में पहुंचे पीपलखाड़ी, ख्यावदा, पुराना ख्यावद, नया ख्यावदा, कालीपहाड़ी, पनघटा सहित आधा दर्जन गांवांे के सैंकड़ो प्रभावितांे ने कलेक्टर की चैखट पर चैपाल जमा दी और इन्होंने प्रशासन पर सर्वे एवं राहत रूपी राशन के वितरण में गड़बड़ी का आरोप लगाया। यहां पहुंची आदिवासी महिला शीला आदिवासी का कहना था हमारे घर गिर गए हैं और हम नई जगह घर बनवा रहे हैं तो हमें वन विभाग परेशान कर रहा है। महिलाआंे ने कहा कि जब मंत्री साहब गांव में आए थे उन्हांेने कहा था कि सबको दस – दस पसेरी अनाज मिलेगा लेकिन अभी तक न हमें राशन मिला न तिरपाल मिला है, हम सब हनुमान पहाड़िया के पास जंगल में खुले में रहने को मजबूर हैं। यहां जो महिलायें शिकायत लेकर आईं उनमें ज्ञासो आदिवासी, सावित्री आदिवासी, नारानी आदिवासी, लीला आदिवासी, मुन्नी आदिवासी, अंगूरी आदिवासी, सगुना आदिवासी, कैलाशी आदिवासी, रामदेही आदिवासी, ममता आदिवासी सहित आधा सैंकड़ा महिलायंे थीं।
इसी प्रकार ग्राम ख्यावदा, नया ख्यावदा, पुराना ख्यावदा, पनघटना के ग्रामीणांे ने भी अपनी समस्या के लिए कलेक्टोरेट पर आवेदन दिया। ख्यावदा गांव के रामवरण और हरिकिशन बघेल ने बताया कि हमारे घर गिर गए मगर पटवारी ने सर्वे में कोई रूचि नहीं ली जिससे हम सहायता राशि से वंचित रह गए हैं। जबकि पटवारी, सचिव ने इन गांवांे में सर्वे पूर्ण होना ही दर्शा दिया गया है। उन्होंने बताया कि बाढ़ के पानी से घर गिर अब हमें रहने के लिए भी घर नहीं है, ऐसे में हम खुले में झांेपड़ी बनाकर रहने को मजबूर हैं और हमंे सांप बिच्छुओं का डर सताता रहता है। इसी प्रकार गीताबाई, रणवीरसिंह, मजबूत सिंह, केदारसिंह बघेल, रामंिसह गुर्जर, बाबूलाल बाािम, पीताराम बाथम, रामकिशन बाथम ने भी बाढ़ से उत्पन्न हुईं समस्याओं को लेकर कलेक्टोरेट पहुंचकर आवेदन दिया।

More from ShivpuriMore posts in Shivpuri »

Be First to Comment

Leave a Reply

error: Content is protected !!
%d bloggers like this: