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बड़ा खुलासा : — बाल आश्रम नहीं वो था अय्याशी का अड्डा होता था नाबालिगों से दुराचार

बाल आश्रम की आड़ में चल रहा था बालिकाओं का दैहिक शोषण

आश्रम से पिछले समय भागी बालिकाओं ने काउंसलिंग के दौरान किया था खुलासा

पिता-पुत्री मिलकर देते थे घिनौने कृत्य को अंजाम, दोनों पर दर्ज हुआ मामला

आश्रम संचालिका शैला अग्रवाल गिरफ्तार, एक आरोपी फरार 

फोटो 17 शिव 1,2,3,4,5,6

शिवपुरी। शहर के फिजीकल क्षेत्र पटेलनगर में आज प्रात: उस समय हड़कंपपूर्ण स्थिति निर्मित हो गई जब यहां संचालित शकुंतला परमार्थ समिति के बाल आश्रम पर पुलिस, महिला सशक्तिकरण एवं बाल कल्याण समिति के संयुक्त दल ने छापामारी कार्यवाही को अंजाम दे डाला। यह कार्यवाही बाल आश्रम में रह चुकी  बालिका द्वारा किये गये उस खुलासे के आधार पर की गई थी जिसमें बालिका ने सीडब्ल्यूसी की काउंसलिंग में बताया था कि बाल आश्रम में, बाल आश्रम की संचालिका एवं उसके पिता द्वारा पिछले लंबे समय से घिनौने कृत्य को अंजाम  दिया जा रहा है। पुलिस ने इस मामले में बीती रात बाल आश्रम संचालिका शैला अग्रवाल एवं उसके पिता केएन गुप्ता के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर आज प्रात: छापामारी के दौरान शैला अग्रवाल को जहां गिरफ्तार कर लिया, वहीं उसका पिता केएन अग्रवाल खुद के ऊपर मामला दर्ज होने की भनक लगते ही रात के अंधेरे में फरार हो गया। आश्रम में मौजूद बालिकाओं को आश्रम से मुक्त कराकर शासकीय आदिम जाति कल्याण विभाग के छात्रावास में भेज दिया है। आज दोपहर बाद पुलिस ने शैला अग्रवाल को न्यायालय में पेश किया, जहां से इन्हें कल दोपहर 12 बजे तक के पुलिस रिमांड पर दिया है।

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यह था मामला

शिवपुरी के पटेलनगर में शकुंतला परमार्थ समिति का बाल आश्रम संचालित है इस आश्रम का संचालन एड. शैला अग्रवाल द्वारा अपने घर में किया जाता था।  शैला अग्रवाल के साथ घर में उनके पिता केएन अग्रवाल भी निवास करते थे। बाल आश्रम में नाबालिग बालिकाओं को रखा जाता था। इन बालिकाओं से शैला अग्रवाल के पिता केएन अग्रवाल दुष्कृत्य, छेड़छाड़ एवं मारपीट जैसी घटनाओं को अंजाम देते थे और इस मामले में शैला अग्रवाल अपने पिता का पूरा साथ देती थी। बाल आश्रम में यह सबकुछ पिछले लंबे समय से चला आ रहा था। 

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इस तरह देते थे घटना को अंजाम

इस मामले के खुलासे के बाद पुलिस पूछताछ में बाल आश्रम में रहीं आधा दर्जन बालिकाओं ने अपने बयान दर्ज कराए। बयानों में बालिकाओं ने बताया कि आश्रम में किस तरह से घिनौने कृत्यों को किया जाता था। बालिकाओं ने पुलिस को अपनी आप बीती सुनाते हुए कहा कि आश्रम  की संचालिका इतनी क्रूर है कि वह उनकी आए दिन मारपीट करती है तथा कभी-कभी तो वह गुस्से में उनके सिर को दीवार पर दे मारती थी और उसका पिता केएन अग्रवाल उन्हें रात्रि में दिए जाने वाले भोजन में नशीली दवा मिला देता था। जिससे वह जल्द ही सो जाती थी और रात्रि में आरोपी उनके साथ दुष्कर्र्म की घटना को अंजाम देता था। बालिकाओं ने यह भी बताया कि रात में वे अलग स्थान पर सोती थी और सुबह जब उनकी नींद खुलती थी तो वह अपने आपको दूसरे कमरे में निर्वस्त्र पाती थीं। बालिकाओं ने यह भी बताया कि जब वह इस घटना की शिकायत संचालिका शैला अग्रवाल से करती थी तो वह उन्हें डराती धमकाती और उनकी मारपीट भी करती थी। जिससे आश्रम की सभी बालिकायें काफी भयभीत रहती थीं। 

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ऐसे हुआ खुलासा

बताया जाता है कि अशोकनगर सीडब्ल्यूसी से दो बालिकाओं को शिवपुरी भेजा था जिनकी काउंसलिंग भी शिवपुरी होना थी। सीडब्ल्यूसी शिवपुरी द्वारा इन दोनों बालिकाओं को शकुंतला परमार्थ समिति के बाल आश्रम में भेज दिया गया था।  बाल आश्रम में पहुंचने के बाद यहां चल रहे दैहिक शोषण को जब इन दोनों बालिकाओं ने देखा तो इनकी रूह कांप उठी और दोनों बालिकाएं अक्टूबर माह के प्रारंभ में रात्रि के समय बाल आश्रम से भाग गई थीं। लगभग 13 दिन बाद जब ये दोनों बालिकाएं वापस लौटकर आईं तो बाल संरक्षण अधिकारी सरिता शुक्ला पत्नी पंकज शुक्ला, उमा मिश्रा के समक्ष इनकी काउंसलिंग हुई जिसमें इन दोनों बालिकाओं ने बाल आश्रम में बालिकाओं के चल रहे दैहिक शोषण का खुलासा किया। काउंसलिंग के बाद एक बालिका को उसके परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया जबकि दूसरी बालिका को वापस बाल आश्रम में ही भेज दिया गया। 

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शैला अग्रवाल ने पूरे मामले पर पर्देदारी का किया था प्रयास

बाल आश्रम में बालिकाओं का चल रहा दैहिक शोषण का गंभीर मामला सामने आने के बाद सीडब्ल्यूसी ने अन्य बालिकाओं को भी काउंसलिंग के लिए सीडब्ल्यूसी के समक्ष लाने के लिए बाल आश्रम संचालिका शैला अग्रवाल को पत्र लिखा था। शैला अग्रवाल ने पत्र मिलने के बाद भी बालिकाओं को सीडब्ल्यूसी के समक्ष न ले जाते हुए सिर्फ इस पत्र का जबाव मात्र देकर पूरे मामले को ढंकने का भरपूर प्रयास किया था। सीडब्ल्यूसी ने मामले की गंभीरता को भांपते हुए बाल आश्रम संचालिका को पुन: पत्र खिलने के साथ-साथ बालिकाओं को सीडब्ल्यूसी के कार्यालय आने तक के लिए वाहन भी उपलब्ध कराया तब कहीं जाकर बालिकाओं को सीडब्ल्यूसी में लाया गया और उनसे पूछताछ की जा सकी। पूछताछ में लगभग आधा दर्जन बालिकाओं ने अपना दैहिक शोषण होने की बात बताई। जिन पीडि़त बालिकाओं से पूछताछ की गई उनकी उम्र 10 वर्ष से लेकर  साढ़े 17 वर्ष तक बताई जा रही है। 

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आलाधिकारियों के संज्ञान में लाया गया मामला

काउंसलिंग के बाद जो घिनौने कृत्य की घटना सामने आई उसकी संपूर्ण जानकारी सीडब्ल्यूसी ने कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव, एसपी मो. युसुफ कुर्रेशी, उप संचालक ग्वालियर श्री तोमर एवं महिला सशक्तिकरण अधिकारी ओपी पाण्डेय को दी।  बताया जाता है कि अधिकारी द्वय ने इस मामले की गंभीरता को भांपते हुए  राजधानी तक के अधिकारियों को पूरी घटना से अवगत कराया और बीती रात बाल आश्रम संचालिका शैला अग्रवाल एवं उनके पिता केएन अग्रवाल के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर लिया गया।  

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इन धाराओं में दर्ज हुआ मामला

बाल आश्रम में बालिकाओं के चल रहे दैहिक शोषण खुलासे के बाद कोतवाली पुलिस ने महिला सशक्तिकरण की संरक्षण अधिकारी सरिता शुक्ला पत्नि पंकज शुक्ला की रिपोर्ट पर से बालगृह संचालिका शैला अग्रवाल एवं उसके पिता के.एन अग्रवाल के खिलाफ भादवि की धारा 376, 354, 506, 190, 323, 120 बी, 3,4,5,6,7,8,9, 10 लैगिक अपराधों से बालक बालिकाओं का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया। वहीं दूसरी ओर महिला बाल विकास विभाग ने समिति का रजिस्ट्रेशन भी निरस्त कर दिया है। 

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कौन है के.एन अग्रवाल 

शकुंतला परमार्थ समिति का गठन माधवराव सिंधिया महाविद्यालय में कर्ई वर्षो तक कॉमर्स संकाय में प्राध्यापक रहे के.एन अग्रवाल की पुत्री एड. शैला अग्रवाल ने अपनी दिवंगत माँ के नाम पर किया था। समिति की आड़ में शैला अग्रवाल ने अनाथ आश्रम, बालगृह और शिशु गृह भी संचालित किए। जिनके माध्यम से शासकीय योजनाओं का लाभ समिति की संचालिका लेती रही और धीरे-धीरे कर के.एन अग्रवाल और उसकी पुत्री ने एक बड़ा साम्रराज्य खड़ा कर लिया और इसके बाद इस अनैतिक और घिनौने कृत्य का खेल शुरू हुआ। आश्रम में रहने वाली मासूम बच्चियों को सेवानिवृत्त प्रो. केएन अग्रवाल ने अपनी हवस का शिकार बनाना शुरू कर दिया। लेकिन अपनी लम्बी पहुंच के चलते आश्रम पर कोई कार्र्रवाई नहीं हो पा रही थी।   

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एक पुलिस अधिकारी भी जांच के घेरे में 

पटेल नगर में संचालित अनाथ आश्रम चल रहे अनैैतिक कृत्य को लेकर पुलिस ने संचालिका को उसके निवास स्थान से गिरफ्तार कर लिया है वहीं उसके पिता की तलाश भी शुरू कर दी है। इसी के साथ पुलिस ने अन्य बिन्दुओं पर भी जांच शुरू कर दी है। जिसमें शिवपुरी कोतवाली में पूर्व में पदस्थ एक पुलिस अधिकारी सहित कुछ कथित नेताओं पर भी शक की सुर्ई घूमती दिखाई दे रही है। इस मामले में इस अधिकारी पर कार्यवाही की गाज गिरे तो आश्चर्य न होगा।

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पूर्व में आश्रम में बालिका ने की थी आत्महत्या

यह आश्रम उस समय विवादों के घेरे में आ गया जब चार वर्ष पूर्र्व निक्की नाम की एक बालिका ने फांसी लगाकर आत्म हत्या कर ली थी। लेकिन आश्रम संचालिका शैला अग्रवाल के प्रभाव के कारण उक्त मामले को दवा दिया गया था। इसके बाद कर्ई बार आश्रम से बच्चियों के भागने की घटनायें भी हुई लेकिन उस समय भी प्रशासन ने कोर्ई कार्र्रवार्ई नहीं की, लेकिन हाल ही में दो बालिकाओं के आश्रम से भागने के बाद मामले को बाल कल्याण समिति ने अपने संज्ञान में लिया और वहां जांच पड़ताल शुरू की जिसमें आश्रम की आड़ में संचालित इस अनैतिक कृत्य का खुलासा हुआ।

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आत्महत्या मामले की खुलेगी फाईल: एसपी 

एपी मो. यूसुफ कुर्रेशी ने मामले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि आज सुबह पुलिस ने बाल कल्याण समिति की शिकायत के बाद पटेल नगर में संचालित बालगृह में चलने वाले अनैतिक कृत्य का पर्दाफाश किया है। जिसमें आश्रम की संचालिका शैला अग्रवाल की गिरफ्तारी की गई वहीं दूसरे आरोपी केएन अग्रवाल की तलाश की जा रही है। पुलिस आश्रम से जुड़े हर तथ्य पर पैनी नजर रखे हुए हैं। वहीं कुछ वर्ष पूर्व आश्रम में एक बालिका द्वारा आत्महत्या करने के मामले की फाईल भी खोली जा रही है। जिसमें नए सिरे से जांच की जाएगी। 

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शहर के नागरिकों ने इनका जताया आभार

शिवपुरी में संचालित शकुंतला परमार्थ समिति के बाल आश्रम से पूर्व में भी कई बार बालिकाएं भाग चुकी थीं और एक मामले में तो यहां पर बालिका ने आत्महत्या भी कर ली थी, लेकिन इन घटनाओं के समय शिवपुरी में पदस्थ रहे एसपी, कलेक्टर  सहित अन्य अधिकारी, कर्मचारियों ने मामले की बारीकी में जाना उचित नहीं समझा था, लेकिन दो बच्चियों के भागने के बाद वर्तमान में पदस्थ अधिकारियों ने इस मामले को जिस गंभीरता से छानबीन करवाई और एक बड़ा खुलासा हुआ है इस बात को लेकर तमाम शिवपुरी के नागरिकों ने कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव, एसपी मो. युसुफ कुर्रेशी, बाल संरक्षण आयोग जिनेन्द्र जैन, महिला सशक्तिकरण अधिकारी ओपी पाण्डेय सहित इस कार्यवाही में सहभागिता निभाने वाले कर्मचारियों, अधिकारियों का साधुवाद ज्ञापित किया है।

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बच्चों से भरवाया जाता था पानी

बालगृह के आसपास रहने वाले लोगों की मानें तो बालगृह में रहने वाले बड़े-बड़े बच्चों से पास में स्थित पार्क से कट्टियों से पानी भरवाया जाता था जबकि कागजों में बालगृह में पर्याप्त स्टाफ दर्शाया जाता है जो बालगृहों में रहने वाले बच्चों की सुविधाओं के लिए तैनात रहते हैं, लेकिन फिर भी बच्चों द्वारा पानी भरने की बात से समझा जा सकता है कि बालगृह में स्टाफ सिर्फ कागजों में दर्शाया जाता है। 

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कागजों में ही दर्ज है स्टाफ

सूत्रों की मानें तो बालगृह में जो स्टाफ है वह सिर्फ कागजों में ही दर्ज है जबकि जमीनी हकीकत की बात करें तो बालगृह में रहने वाले बच्चों द्वारा ही घरेलू कार्य से लेकर गटर संबंधी कार्य किय जाते थे। बताया तो यहां तक जाता है कि बालगृह में रहने वाले छोटे-छोटे बच्चे जो चलना जल्दी नहीं सीख पाते उनके लिए चलना सिखाने के नाम पर काफी बजट आता था, लेकिन बच्चों को चलना सिखाने के नाम उनके पैरों में झाडू मारा जाता था। 

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कभी नहीं हुआ बालगृह का औचक निरीक्षक

सूत्रों की मानें तो बालगृह संचालिका अभिभाषक है और प्रशासन में अपने प्रभाव के चलते कभी प्रशासन द्वारा बालगृह में औचक निरीक्षण नहीं किया गया। बताया जाता है कि जब भी जिम्मेदारों द्वारा इसका निरीक्षण किया जाता था तो संचालिका को इस बात की पहले से ही जानकारी लग जाती थी। जिसके चलते बालगृह में सभी व्यवस्थाओं को सही कर लिया जाता था और बच्चों को मिठाई के डिब्बे और कपड़े दे दिये जाते थे और निरीक्षण खत्म होने के बाद इन डिब्बों को पुन: अलमारी सजा कर रख दिया जाता था। 

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इनका कहना है

अन्य कई जगह पर इस तरह के जो मामले सामने आये थे उनमें हमारे द्वारा कड़ी कार्यवाही कराई गई है यह उसी का परिणाम है कि उन कार्यवाहियों को देखते हुए बालिकाओं ने आपबीती सुनाई और आज यहां यह कार्यवाही संस्थित हुई है।

राघवेन्द्र शर्मा

प्रदेश अध्यक्ष, बाल आयोग मप्र शासन

बच्चियों के बाल आश्रम से भागने के बाद जो यह यह पूरा मामला हमारे सामने आया था हमने मामले की गंभीरता को भांपते हुए बाहर से दो स्वतंत्र काउंसर बुलाये थे जिनके द्वारा पूरे मामले की जांच पड़ताल की गई। मामला सही पाये जाने पर आज इस कार्यवाही को अंजाम दिया गया है। 

ओपी श्रीवास्तव, कलेक्टर शिवपुरी

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