जब जानवर कोई इंसान को मारे कहते है दुनिया मे थे सील के तारे
मणिका शर्मा “मणि”
इक जानवर की जान आज इंसानो ने ली है ,तो फिर चुप क्यों है संसार।। हाथी कभी साथी हुआ करते थे पर केरल की एक शर्म सार घटना ने यह सिद्ध कर दिया कि हाथी तो आज भी साथी ही है पर इंसान आज का भरोसे लायक नही बचा।कितने दुख की बात है कि इंसानियत आज फिर एक बार फिर शर्मसार हो गयी।
प्रत्येक घ्रणित घटना के बाद ऐसा लगता है मानो की यही आखिरी है इससे अधिक घ्रणित अब आगे क्या होगा।
समझ नही आता कि हम उन्नति कर रहे है या अबनती । कहने को तो हमने अनेक उपलब्धियाँ हासिल कर ली है परंतु सत्य यह है की दिन प्रतिदिन इंसान स्वमं को केवल गिराता जा रहाहै। केरल की एक घटना ने एक बार फिर देश मे मानवता का अस्तित्व हिला कर रख दिया है । एक तरफ हम गणपति जी को पूजते है तो वही दूसरी तरफ यह तक भी भूलकर उनके ही स्वरूप एक मादा हथिनी के साथ ऐसा घिनोना कृत्य किया गया। इंसानियत यहाँ तक गिर गयी कि यह भी भूल गए कि वो केवल एक पशु मात्र ही नही एक माँ का स्वरूप भी था।
केरल में एक भूखी गर्भवती हथिनी का इंसान पर भरोसा ही उसकी और उसके अंश की जान ले गया।
कई दिनो से भूखी होने पर वो इंसान पर भरोसा करके उसके दिए अनन्नास को खा गयी लेकिन इंसान को देखिए, जिसकी फ़ितरत में ख़ुदगर्ज़ी और धोखा आखिर क्यों रह गया।।।
यह कैसी मानवता है । यह कैसा साथ जिसमे अनानस में उसके लिए पटाखे भर कर रखे गए थे।
क्या करती वो बेसहये हथिनी जिसके मुँह में पटाखे फट गए और चोटिल मुँह की जलन बुझाने वो हथिनी किसी तरह नदी तक पहुँची पर पानी में खड़े-खड़े उस बेज़ुबान की गर्भ में पल रहे बच्चे समेत उसकी जान चली भी चली गयी। आखिर क्या कसूर था उस बेजुबान हथिनी का । क्या दोष था उसके गर्भ में पल रहे उसके बच्चे का।
क्या यह सच मे इंसानियत को दर्शाती ह??
यहाँ तक उस हथिनी की सहन सीलता को देखिये कि भूक से बेहाल होने के बावजूद और इतनी असहनीय पीड़ा में भी हथिनी हिंसक नही हुई ना जान धन को कोई छत्ती पहुंचाई।
क्या यह केरल में साक्षरता के उदाहरण को दर्शाता है ।।।एक तरफ केरल में साक्षरता की दर सबसे उच्च है वही दूसरी तरफ इंसान की फ़ितरत में सिर्फ़ स्वार्थ ही नजर आ रहा है ।।।एक शर्मनाक घिनोना सत्य जो इंसानियत पे कई सवाल खड़े कर रहा है।।
क्या ये एक सुनयोजित सडयंत्र है अथबा किसी अज्ञात इंसान के द्वारा जानवर से लिया गया बदला है???
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