ग्वालियर। 13.01.2021/ मध्यप्रदेश आबकारी विभाग की लापरवाही और निष्क्रियता के चलते बिक रही अवैध सस्ती जहरीली शराब से मुरैना में 20 लोगों की मौत हो गई। मौत का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है, अभी भी 16 लोग अस्पताल में गम्भीर हालत में हैं। इस घटना से यह साफ हो चुका है कि मध्यप्रदेश में आबकारी विभाग आंख मूंद कर बैठा है। और शराब माफिया जनता की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। सुशासन की बात करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी आबकारी विभाग के गैर जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही करने से बचते नजर आ रहे हैं। शायद यही कारण है कि जहरीली शराब के सेवन से हुई 20 मौत के बाद भी, इतने गम्भीर मामले में आबकारी विभाग के आयुक्त राजीव चन्द्र दुबे और ग्वालियर संभाग के उपायुक्त शैलेश सिंह को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने क्लीन चिट देदी है। कुछ दिन पहले उज्जैन में भी ऐसी ही घटना हुई थी। जिसमें 14 लोगों की मौत हुई थी। अब आगे ऐसी कोई घटना नहीं होगी, इस बात के लिए आबकारी विभाग कोई आश्वासन नहीं दे रहा है। पिछले कुछ माह में 42 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हो चुकी है। जो प्रदेश के अलग अलग क्षेत्रों में हुई है। मतलब साफ है कि पूरे प्रदेश में शराब का अवैध कारोबार चल रहा है, मतलब साफ है कि आबकारी विभाग के संरक्षण में अवैध शराब का कारोबार फल फूल रहा है।
मुरैना में शराब से मौत की खबर जैसे ही लोगों को लगी। उसके बाद वहां कई गांव के सैकड़ों लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई। लोगों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। मामले को बढ़ता देख पहले क्षेत्र के टीआई को निलंबित किया, फिर जिला आबकारी अधिकारी को। आखिरी में मुरैना कलेक्टर व एसपी हटा दिए गए। कांग्रेस प्रवक्ता आर पी सिंह का कहना था कि आबकारी के आला अधिकारी और मुख्यमंत्री तक सभी को पता है कि मुरैना के ग्रामीण अंचलों में किस तरह से अवैध शराब का कारोबार चल रहा है। फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। और इसका नतीजा रहा कि 20 लोगों को जान गवानी पड़ी। उन्होंने आरोप लगाया कि आबकारी विभाग केवल पैसा कमाने में लगा है यह बात मुख्यमंत्री के भी संज्ञान में है। उन्होंने दोषी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर की भी बात की।
मुरैना जिले में जहरीली शराब से 20 लोगों की मौत के बाद लोगों का गुस्सा भड़क गया। लोगों के बढ़ते विरोध के चलते मौके पर भारी पुलिस बल तैनात की गई, अवैध जहरीली शराब से मौत के बाद इलाके में तनाव रहा। लोगों ने पुलिस की किसी प्रकार की मदद देने से इनकार कर दिया है और वहां से जाने को कह दिया। लोगों की मौत के बाद जब पुलिस प्रशासन ने वहां शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस भेजी तो लोगों को गुस्सा और ज्यादा भड़क गया। उनका कहना था कि जब 2 दिन से लोग बीमार पड़ रहे थे, तब कोई मदद नहीं की गई।
मुख्यमंत्री ने बड़े अधिकारियों को बचाते हुए मुरैना जिला आबकारी अधिकारी जावेद अहमद को निलंबित कर दिया। जब मामले ने तूल पकड़ा तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुरैना कलेक्टर अनुराग वर्मा और एसपी अनुराग सुजानिया को हटा दिया, और एसडीओपी सुरजीत सिंह भदौरिया को निलंबित कर दिया है। एसपी पहले ही थाना प्रभारी अविनाश राठौर व दो बीट प्रभारियों को निलंबित कर चुके थे। अब इतने बड़े मामले में आबकारी विभाग के बड़े अधिकारियों की क्या जिम्मेदारी बनती है और मुख्यमंत्री क्या सख्त कार्यवाही करते हैं, ये आने वाला वक्त बताएगा। लेेकिन अभी तक के हालात देखकर लग रहा है कि आयुक्त और उपायुक्त के पद पर बैठे गैर जिम्मेदार अधिकारी अमरत्व का काढ़ा पी कर अपनी अपनी कुर्सी पर चिपक गए हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुरैना जिले में शराब सेवन के फलस्वरूप हुई मौतों के मामले में आज सुबह निवास पर उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि मुरैना की घटना अमानवीय और तकलीफ पहुंचाने वाली है। प्रदेश में मिलावट के विरुद्ध अभियान संचालित है, फिर भी यह घटना हुई जो बहुत दु:खद है। मुख्यमंत्री ने इस मामले में मुरैना के कलेक्टर और एस.पी. को हटाने के निर्देश दिए। इसके साथ ही संबंधित क्षेत्र के एसडीओपी को निलंबित करने के निर्देश दिए गए हैं। आबकारी अधिकारी को पूर्व में ही निलम्बित किया जा चुका है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इस पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपी जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो। अन्य जिले भी सजग रहें। ऐसे मामलों में कलेक्टर, एस.पी. जिम्मेदार माने जाएंगे। दोषी अधिकारियों के विरुद्ध एक्शन भी लिया जाएगा। अब मुख्यमंत्री आबकारी विभाग के गैर जिम्मेदार अधिकारियों को छोड़ कर कलेक्टर और एसपी को ही टारगेट ले रहे हैं। लेकिन आबकारी विभाग के आला अधिकारियों की जिम्मेदारी पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगा रहे हैं। बैठक में गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र, वाणिज्यिकर एवं एवं वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, डीजीपी विवेक जौहरी, अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री मनीष रस्तोगी, प्रमुख सचिव वाणिज्यकर श्रीमती दीपाली रस्तोगी मौजूद थे। लेकिन किसी भी मंत्री या अधिकारी ने आबकारी आयुक्त राजीव चन्द्र दुबे और उपायुक्त शैलेश सिंह पर कार्यवाही की मांग तक नहीं की।
एक तरफ तो मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि इस तरह के मामलोँ में मै मूकदर्शक नहीं रह सकता। ड्रग माफिया के विरुद्ध सख्त अभियान जारी रहे। पूरे प्रदेश में अवैध शराब के खिलाफ अभियान चले। अवैध शराब बिक्री पर पूरा नियंत्रण हो। ऐसा व्यापार करने वालों को ध्वस्त किया जाए। वहीं दूसरी और पूरे प्रदेश में शराब के अवैध कारोबार को संरक्षण देने वाले आयुक्त राजीव चन्द्र दुबे पर कार्यवाही की बात तक नहीं कर रहे। जब अवैध शराब की रोकथाम के लिए आबकारी विभाग के पास विशेष शक्तियां हैं और इसी विभाग की निष्क्रियता से 20 लोगों की मौत हुई है तो इस लापरवाही का जिम्मेदार कलेक्टर और एसपी कैसे? और क्या वजह है कि मुख्यमंत्री ने आबकारी आयुक्त या उपायुक्त पर कार्यवाही का जिक्र तक नहीं किया?
मुख्यमंत्री ने पुलिस महानिदेशक से घटना की विस्तृत जानकारी प्राप्त की। मुरैना जिले में हुई घटना में उपयोग में लाई गई मिलावटी शराब के निर्माण केन्द्र और दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कार्यवाही के साथ ही संबंधित डिस्टलरी की जांच के निर्देश भी दिए गए। मुख्यमंत्री ने आबकारी अमले और पुलिस अमले की पदस्थापना में निश्चित समयावधि के बाद परिवर्तन के निर्देश भी दिए। डिस्टलरी के लिए पदस्थ आबकारी अमले और ओआईसी को ओवर टाइम दिए जाने की व्यवस्था में भी परिवर्तन किया जाए। यहां यह अच्छी पहल है कि मुख्यमंत्री विभाग में सुधार की कवायद कर रहे हैं। लेकिन यह सुधार वास्तविक रूप ले पायेगा इसकी सम्भावना कम ही है।
आबकारी उपायुक्त शैलेष सिंह का प्रभाव देखिये कि जहरीली शराब की अवैध बिक्री उन्ही के कार्य क्षेत्र में हुई है, जिसके पीने से 20 लोगों की मौत हो गई। लेकिन शैलेश सिंह पर कार्यवाही के लिए मुख्यमंत्री तक ने कोई बात नहीं की। सुमावली विधानसभा के छेरा गांव में शराब खरीदी गयी और जौरा विधानसभा के बागचीनी थाने के टीआई पर गाज गिरा दी। इसी जिला आबकारी जाबेद अहमद को हटा दिया जबकि ये जिम्मेदारी संभागीय उड़नदस्ते की थी और उसके मुखिया आबकारी उपायुक्त शैलेष सिंह हैं। आबकारी विभाग में ही ऐसी चर्चा है कि उपायुक्त शैलेष सिंह की शराब माफिया के साथ जबरदस्त जुगलबन्दी है। और शराब माफिया की कुछ सत्ताधारी नेताओं से। शायद यही कारण है कि 20 मौत के गम्भीर मामले में भी शैलेश सिंह के ऊपर गाज नहीं गिरी। शैलेश सिंह चाहते तो सुमावली, जौरा, बागचीनी और देवगढ़ क्षेत्र में फ्लाइंग स्कॉड भेजते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उनसे किसी ने यह तक नहीं पूछा कि आपके अधीन फ्लाइंग स्कॉड फील्ड में क्यों नहीं जाता। पूरे क्षेत्र में शराब माफिया आबकारी नियमों को ताक पर रखकर नियम विरुद्ध अवैध काम करते हैं। और यही ठेकेदार उपायुक्त के ऑफिस में खुले आम बैठकर अपने मनमाफिक काम कराते रहते हैं। पूरे सम्भाग में गांव गांव गली गली कच्ची शराब अवैध रूप से बिक रही है। इन पर कोई कार्यवाही शैलेश सिंह यदि नही कर रहे तो इन अवैध कामों का संरक्षक शैलेश सिंह को ही क्यों नहीं माना जाए!
आम आदमी क्यों सस्ती अवैध शराब पीने को मजबूर है इसका बहुत बड़ा कारण भी आबकारी विभाग है। अभी हाल ही में देखा गया कि सरकारी शराब के ठेकों पर शराब एमआरपी से 30% तक अधिक दाम पर बिक रही है। इस ओवर रेट के कारण लोग अनाधिकृत माध्यम से सस्ती शराब खरीदने को मजबूर हैं। ओवर रेट के यह हालात किसी एक जिले के नहीं हैं। राजधानी भोपाल से लेकर आबकारी आयुक्त के मुख्यालय ग्वालियर तक यही हालात हैं। रीवा और जबलपुर सम्भाग में भी शराब एमआरपी से कहीं ऊपर बिक रही है। और यह सब जिला स्तर के अधिकारी से लेकर, आबकारी आयुक्त राजीव चन्द्र दुबे के भी जानकारी में है। जब इस मामले में ये अधिकारी कार्यवाही की जगह ठेकेदारों को संरक्षण दे रहे हैं तो अवैध शराब बेचने वालों को भी इनका संरक्षण प्राप्त होगा इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता।
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